Product ID: SRS37
Rs 180 INRAvailability: (10) In Stock
Condition: New
Category: Vati
Brand: Sri Ram Samridhi pharmaceutical
Product Description: Sri Ram Samridhi नाना वटी गैस की बीमारी के लिए सर्वोत्तम वटी कब्ज, पाचन तंत्र की उस स्थिति को कहते हैं जिसमें कोई व्यक्ति (या जानवर) का मल बहुत कड़ा हो जाता है तथा मलत्याग में कठिनाई होती है। कब्ज अमाशय की स्वाभाविक परिवर्तन की वह अवस्था है, जिसमें मल निष्कासन की मात्रा कम हो जाती है, मल कड़ा हो जाता है, उसकी आवृति घट जाती है या मल निष्कासन के समय अत्यधिक बल का प्रयोग करना पड़ता है। सामान्य आवृति और अमाशय की गति व्यक्ति विशेष पर निर्भर करती है। (एक सप्ताह में 3 से 12 बार मल निष्कासन की प्रक्रिया सामान्य मानी जाती है। पेट में शुष्क मल का जमा होना ही कब्ज है। यदि कब्ज का शीघ्र ही उपचार नहीं किया जाये तो शरीर में अनेक विकार उत्पन्न हो जाते हैं। कब्जियत का मतलब ही प्रतिदिन पेट साफ न होने से है। एक स्वस्थ व्यक्ति को दिन में दो बार यानी सुबह और शाम को तो मल त्याग के लिये जाना ही चाहिये। दो बार नहीं तो कम से कम एक बार तो जाना आवश्यक है। नित्य कम से कम सुबह मल त्याग न कर पाना अस्वस्थता की निशानी है। प्रमुख कारण कम रेशायुक्त भोजन का सेवन करना ; भोजन में फायबर (Fibers) का अभाव। अल्पभोजन ग्रहण करना। शरीर में पानी का कम होना कम चलना या काम करना ; किसी तरह की शारीरिक मेहनत न करना; आलस्य करना; शारीरिक काम के बजाय दिमागी काम ज्यादा करना। कुछ खास दवाओं का सेवन करना बड़ी आंत में घाव या चोट के कारण (यानि बड़ी आंत में कैंसर) थायरॉयड हार्मोन का कम बनना कैल्सियम और पोटैशियम की कम मात्रा मधुमेह के रोगियों में पाचन संबंधी समस्या कंपवाद (पार्किंसन बीमारी) चाय, कॉफी बहुत ज्यादा पीना। धूम्रपान करना व शराब पीना। गरिष्ठ पदार्थों का अर्थात् देर से पचने वाले खाद्य पदार्थों का सेवन ज्यादा करना। आँत, लिवर और तिल्ली की बीमारी। दु:ख, चिन्ता, डर आदि का होना। सही समय पर भोजन न करना। बदहजमी और मंदाग्नि (पाचक अग्नि का धीमा पड़ना)। भोजन खूब चबा-चबाकर न करना अर्थात् जबरदस्ती भोजन ठूँसना। जल्दबाजी में भोजन करना। बगैर भूख के भोजन करना। ज्यादा उपवास करना। भोजन करते वक्त ध्यान भोजन को चबाने पर न होकर कहीं और होना। उपाय[संपादित करें] right|thumb|300px| ब्रिस्टल मल चार्ट के अनुसार प्रथम-प्रकार एवं द्वितीय-प्रकार का मल कब्ज का संकेत देता है। रेशायुक्त भोजन का अत्यधित सेवन करना, जैसे साबूत अनाज ताजा फल और सब्जियों का अत्यधिक सेवन करना पर्याप्त मात्रा में पानी पीना वसा युक्त भोजन का सेवेन कम करे ज्यादा समस्या आने पर चिकित्सक से सलाह लेना चाहिए। कुछ विशिष्ट प्रयोग[संपादित करें] खाने में ऐसी चीजें ले, जिनसे पेट स्वयं ही साफ हो जाय। नमक – छोटी हरड और काल नमक समान मात्रा में मिलाकर पीस लें। नित्य रात को इसकी दो चाय की चम्मच गर्म पानी से लेने से दस्त साफ आता हैं। ईसबगोल – दो चाय चम्मच ईसबगोल 6 घण्टे पानी में भिगोकर इतनी ही मिश्री मिलाकर जल से लेने से दस्त साफ आता हैं। केवल मिश्री और ईसबगोल मिला कर बिना भिगोये भी ले सकते हैं। चना – कब्ज वालों के लिए चना उपकारी है। इसे भिगो कर खाना श्रेष्ठ है। यदि भीगा हुआ चना न पचे तो चने उबालकर नमक अदरक मिलाकर खाना चाहिए। चेने के आटे की रोटी खाने से कब्ज दूर होती है। यह पौष्िटक भी है। केवल चने के आटे की रोटी अच्छी नहीं लगे तो गेहूं और चने मिलाकर रोटी बनाकर खाना भी लाभदायक हैं। एक या दो मुटठी चने रात को भिगो दें। प्रात: जीरा और सौंठ पीसकर चनों पर डालकर खायें। घण्टे भर बाद चने भिगोये गये पानी को भी पी लें। इससे कब्ज दूर होगी। बेल – पका हुआ बेल का गूदा पानी में मसल कर मिलाकर शर्बत बनाकर पीना कब्ज के लिए बहुत लाभदायक हैं। यह आँतों का सारा मल बाहर निकाल देता है। नीबू – नीम्बू का रस गर्म पानी के साथ रात्रि में लेने से दस्त खुलकर आता हैं। नीम्बू का रस और शक्कर प्रत्येक 12 ग्राम एक गिलास पानी में मिलाकर रात को पीने से कुछ ही दिनों में पुरानी से पुरानी कब्ज दूर हो जाती है। नारंगी – सुबह नाश्ते में नारंगी का रस कई दिन तक पीते रहने से मल प्राकृतिक रूप से आने लगता है। यह पाचन शक्ति बढ़ाती हैं। मेथी – के पत्तों की सब्जी खाने से कब्ज दूर हो जाती है। गेहूँ के पौधों (गेहूँ के जवारे) का रस लेने से कब्ज नहीं रहती है। धनिया – सोते समय आधा चम्मच पिसी हुई सौंफ की फंकी गर्म पानी से लेने से कब्ज दूर होती है। दालचीनी – सोंठ, इलायची जरा सी मिला कर खाते रहने से लाभ होता है। टमाटर कब्जी दूर करने के लिए अचूक दवा का काम करता है। अमाश्य आँतों में जमा मल पदार्थ निकालने में और अंगों को चेतनता प्रदान करने में बडी मदद करता है। शरीर के अन्दरूनी अवयवों को स्फूर्ति देता है।